महाराष्ट्र की अकोला मंडी में 27 फरवरी से 5 मार्च के बीच चना की कीमतों में 95 रुपए प्रति क्विंटल की गिरावट देखने को मिली। मंडी में 27 फरवरी को चने का भाव 5,655 रुपए प्रति क्विंटल था, जो 5 मार्च को घटकर 5,560 रुपए प्रति क्विंटल पर आ गया। केंद्र सरकार ने चना का न्यूनतम समर्थन मूल्य 5,650 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारती किया हुआ है।
एगमार्कनेट के आंकड़ों के अनुसार, बीते सप्ताह मंडियों में चना की आवक 22 प्रतिशत बढ़कर 96,734 टन हो गई, जबकि पिछले साल की इसी अवधि में यह 79,370 टन थी। मध्य प्रदेश के बिना मंडी में रबी चना की 100 बोरी नई आवक दर्ज की गई, जिसकी कीमत 5,500 से 5,700 रुपए प्रति क्विंटल रही। इस नई फसल में नमी 12 से 13 प्रतिशत तक पाई गई। होली के बाद नई फसल की आवक और बढ़ेगी, जिससे बाजार पर दबाव बढ़ सकता है।
राजस्थान में कृषि कल्याण शुल्क के खिलाफ ट्रेड यूनियन की अनिश्चितकालीन हड़ताल के कारण बाजार बंद है। इस बीच 1 से 14 फरवरी, 2025 के बीच चेन्नई बंदरगाह पर कुल 47,800 टन दालों का आयात हुआ, जिसमें 7,500 टन तुअर, 32,825 टन उड़द, 5,850 टन मसूर और 650 टन चना शामिल हैं।
वर्तमान मौसम रबी दलहनों के लिए अनुकूल बना हुआ है। राजस्थान कृषि विभाग के अनुसार, राज्य में इस साल चने की बुआई 20.45 लाख हैक्टेयर में हुई, जिससे 25.35 लाख टन से ज्यादा उत्पादन होने की संभावना जताई जा रही है। पिछले साल चने की बुआई 18.14 लाख हैक्टेयर में हुई थी और उत्पादन 22.34 लाख टन हुआ था।
मंडियों में चना के लिए मांग की तुलना में आपूर्ति बेहतर नजर आ रही है। साथ ही इस साल उत्पादन में बढ़ोतरी का भी अनुमान है। इसलिए आने वाले दिनों में चना की कीमतों में 100 से 200 रुपए प्रति क्विंटल तक और गिरावट संभव है। नई फसल की आवक बढ़ने से बाजार में मंदी का रुझान बना रह सकता है।
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