कपास की फसल में रस चूसक कीटों का प्रकोप अन्य कीटों की तुलना में अधिक पाया जा रहा है, जो इनमें सफेद मक्खी प्रमुख कीट है। यह एक ऐसा कीट है जो कपास की फसल को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाता है। इसके नुकसान का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इसके प्रकोप से कपास के फसलों को लगभग 50 से 60 प्रतिशत तक नुकसान हो सकता है।
सफ़ेद मक्खियां, जिन्हें बर्फ़ीली मक्खियां भी कहा जाता है, ये पत्तियों के नीचे की तरफ पाए जाने वाले छोटे रस-चूसने वाले कीड़े हैं। ये छोटे पतंगों से मिलते जुलते हैं और खस्ता सफेद मोम से ढके होते हैं।
कैसे करें सफ़ेद मक्खियों से कपास की फसल का बचाव
कपास के चारों तरफ मेढ़ों पर लटजीरा नामक खरपतवार हो तो उन्हें हटा दें ताकि सफेद मक्खी वहां पनप कर कपास में ना आ पाए। सफेद मक्खी के नियंत्रण के लिए नीम का तेल 1 लीटर प्रति एकड़ या डाईफेन्थ्रोन 325 ग्राम प्रति एकड़ या बुफरोफेजीन 400 मिली लीटर का 200 लीटर पानी में घोल तैयार कर प्रति एकड़ फसल पर छिड़काव करें। अगर फिर भी सफेद मक्खी का कंट्रोल ना हो तो 15 दिन बाद ट्राईजोफोश 600 मिली लीटर प्रति एकड़ या ईथीयोन 800 मिली लीटर प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
अगर आप चाहते है की आपकी कपास की फसल रोगमुक्त रहे तो आप इसकी जैविक बुवाई करें। इसके लिए आपको सबसे पहले मिट्टी उपचारित करनी होगी। मिट्टी उपचार के लिए आप 100 से 150 किलोग्राम 12 माह पुरानी भुरभुरी व थोड़ी नमी वाली गोबर की खाद या वर्मी कंपोस्ट में 10 किलोग्राम जी सी पावर और 10 किलोग्राम जी प्रोम एडवांस में 500 मिली जी बायो फॉस्फेट एडवांस या जी डर्मा प्लस को किसी छायादार स्थान पर मिलाकर 30 मिनट हवा लगने के बाद संध्या के समय दो जुताई कर प्रति एकड़ खेत में छिड़काव करें।
फिर बाजार से उच्च गुणवत्ता के बीज लाकर बीज को उपचारित करें। बीज उपचारित करने के लिए 10 मिली जी बायो फॉस्फेट एडवांस या 10 मिली जी डर्मा प्लस से प्रति किलोग्राम बीज को किसी छायादार स्थान पर मिलाकर उपचार कर 15 से 20 मिनट तक हवा लगने दें। हवा लगने के बाद खेत की दो जुताई कर बीज की बुवाई करें।
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