हल्दी के उत्पादन में 10 से 15 प्रतिशत तक की गिरावट की आशंका के चलते इसकी कीमतों में मजबूती देखने को मिल रही है। विशेष रूप से महाराष्ट्र नांदेड़ क्षेत्र में छोटे प्रकंद और फसल सड़न जैसी समस्याओं ने उत्पादन को प्रभावित किया है। हालांकि प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में कटाई पूरी होने के बाद ही वास्तविक पैदावार का सही अनुमान लग पाएगा।
देश में इस साल हल्दी की खेती का रकबा बढ़कर 3.30 लाख हैक्टेयर हो गया है, जो पिछले साल के 3 लाख हैक्टेयर से 10 प्रतिशत ज्यादा है। इसके बावजूद बेमौसम बारिश के कारण उत्पादन में ज्यादा लाभ की संभावना सीमित हो गई है। 2023 में हल्दी का कुल उत्पादन 10.75 लाख टन था, और इस साल यह स्थिर रहने या 3 से 5 प्रतिशत के उतार चढ़ाव की संभावना जताई जा रही है।
हल्दी के लिए अच्छी निर्यात मांग देखने को मिल रही है। जिसके चलते इसके निर्यात में भी तेजी देखने को मिली है। अप्रैल-नवंबर 2024 के दौरान हल्दी का निर्यात 9.80 प्रतिशत बढ़कर 1,21,601.21 टन हो गया। हालांकि नवंबर में निर्यात अक्टूबर के मुकाबले 20.18 प्रतिशत कम रहा, लेकिन पिछले साल की तुलना में 48.22 प्रतिशत अधिक दर्ज किया गया।
अप्रैल-नवंबर 2024 के दौरान हल्दी का आयात 101.80 प्रतिशत बढ़कर 18,937.95 टन हो गया। नवंबर में आयत थोड़ा कम रहा, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में हल्दी की मजबूती मांग के संकेत बरकरार हैं। घरेलू उत्पादन में संभावित गिरावट के बीच हल्दी के बाजार में अस्थिरता बनी रहने की संभावना है।
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