टमाटर की फसल में पत्ती मोड़ने वाला पीला विषाणु रोग अंकुरित में अवस्था में पौधों को संक्रमित करता है, तो यह वायरस पौधे की ताजा पत्तियों तथा शाखाओं में विकास अवरूद्ध कर देता है, जिसकी वजह से कभी-कभी पौधा झाड़ीनुमा बन जाता हैं। पुराने पौधों में संक्रमण की वजह से पौधों की अत्यधिक शाखाएं निकल आती है।
पत्तियां मोटी और झुर्रीदार हो जाती हैं, और पत्तियों की सतह पर अंतःशीरा पर्ण हरित हीनता हो जाती हैं। बीमारी के बाद के चरणों में, पत्तियां चमड़े जैसी हो जाती हैं और उनके हरित किनारे ऊपर और भीतर की तरफ घूमे हुए होते हैं। यदि संक्रमण फूलों के बनने से पहले होता हैं, तो फलों की संख्या काफी कम हो जाती है, भले ही उनकी सतह कोई विशेष लक्षण न हो।
टमाटर की फसल में पत्ती मोड़ने वाला पीला विषाणु रोग के लक्षण
- टमाटर के पौधों की पत्तियां पीली और ऊपर की ओर मुड़ी हुई दिखाई देने लगती है।
- टमाटर के पौधा का विकास का रुक जाना।
- फलों की कम संख्या
- इसका रोग का वैज्ञानिक नाम TYLCV हैं।
टमाटर की फसल में पत्ती मोड़ने वाला पीला विषाणु रोग लगने का कारण
यह वायरस बीजों से जुड़ा है और औजारों और उपकरणों के जरिए नहीं फैलता है। यह बेमिसिया तेबेकी प्रजातियों वाली सफेद मक्खियों से फैलता है। ये सफेद मक्खियां कई पौधों की पत्ती की निचली सतह पर अपना भोजन करती है और छोटे मुलायम पौधों से आकर्षित होती हैं। पूरा संक्रमण चक्र लगभग 24 घंटे में हो सकता है और उच्च तापमान के साथ सूखे मौसम में अत्यधिक होता हैं।
कृषि जागृति का सुझाव
हमारा सुझाव यह हैं कि किसी भी बीमारी के प्रारंभिक चरणों में या फसल कटाई का समय करीब होने पर, जैविक नियंत्रण का इस्तेमाल किया जाए तो बेहतर होगा। लेकिन रोग के अधिक उन्नत चरणों में कृपया रासायनिक नियंत्रण का उपयोग करें। ध्यान दे एक ही समय में विभिन्न उत्पादों को मिलाने या लगाने की सलाह नहीं दी जाती हैं।
टमाटर की फसल में पत्ती मोड़ने वाला पीला विषाणु रोग का जैविक नियंत्रण
येल्लो लीफ कर्ल वायरस का जैविक नियंत्रण करने के लिए सबसे पहले आप मिट्टी को उपचारित करें। उसके बाद बीज को उपचारित कर नर्सरी तैयार करें। फिर इसके बाद पौध को उपचारित कर बुवाई करें। क्योंकि ये एक वायरस है और ये मिट्टी जनित और बीज जनित रोग हैं।इसके अन्य उपचार के लिए फूल आने से पहले 10 मिली जी-बायो ह्यूमिक और 10 मिली जी-सी लिक्विड को 15 लीटर पानी के टैंक में मिला कर स्प्रे करें। बेहतर परिणाम के लिए एक सप्ताह बाद फिर से स्प्रे करें।
यह भी पढ़े: बेबी कॉर्न की जैविक खेती से किसानों को होगी 3 से 4 गुना तक का मुनाफा, जानिए कैसे?
जागरूक रहिए व नुकसान से बचिए और अन्य लोगों के जागरूकता के लिए साझा करें एवं कृषि जागृति, स्वास्थ्य सामग्री, सरकारी योजनाएं, कृषि तकनीक, व्यवसायिक एवं जैविक खेती संबंधित जानकारियां प्राप्त करने के लिए कृषि जागृति चलो गांव की ओर के WhatsApp Group से जुड़े रहे या कृषि संबंधित किसी भी समस्या के जैविक समाधान के लिए हमे WhatsApp करें। धन्यवाद