स्ट्रॉबेरी नाम सुनते ही मुंह में पानी आ जाता है। ये एक स्वादिष्ट हल्का खट्टा मीठा फल होता है। इसका उपयोग जैम, चॉकलेट, आइसक्रीम, मिल्क-शेक आदि बनाने में किया जाता है। स्ट्रॉबेरी में विटामिन C, विटामिन A और K पाया जाता है। साथ ही कई प्रकार के औषधीय गुण भी होते है कील मुंहासे हटाने, आंखों की रोशनी और दांतों की चमक बढ़ाते है।
इसे पहाड़ी और ठंडे इलाकों में बोया जाता है। भारत में स्ट्रॉबेरी की खेती कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के ऊपरी हिस्सों में की जाती है। स्ट्रॉबेरी अलग-अलग जलवायु और भूमि के हिसाब से अधिक पैदावार देती है। इसकी खेती अधिक मुनाफे वाली खेती के रूप में की जाती है। तो आइये जानते हैं स्ट्रॉबेरी क्या है और इसकी खेती कैसे करें।
स्ट्रॉबेरी की खेती कैसे करे?
स्ट्रॉबेरी की खेती ठंडे जलवायु में की जाती है। इसका पौधा कुछ ही महीनों में फल देने लायक हो जाता है। बाजार में भी स्ट्रॉबेरी की डिमांड काफी ज्यादा है। इसके दाम भी बाजार में अच्छा मिलता है। किसान स्ट्रॉबेरी की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। तो चलिए जानते है कैसे कि जाति है इसकी खेती।
स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए जलवायु
पौधों की अच्छी बढ़वार के लिए दिन का अधिकतम तापमान 22 डिग्री सेल्सियस और रात का तापमान 7 डिग्री सेल्सियस तापमान को अच्छा माना गया है। स्ट्रॉबेरी को समशीतोष्ण एवं उष्णकटिबंधीय जलवायु में भी सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है।
स्ट्राबेरी की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी
इसकी खेती बलुई दोमट मिट्टी में की जाती है। इसके लिए अच्छी जलनिकासी वाले खेत को उपयुक्त माना जाता है। मिट्टी का पीएच मान 5.5 से 6.5 के बीच होना चाहिए।
स्ट्राबेरी की खेती की प्रक्रिया
आप इसकी खेती पॉलीहाउस बनाकर भी कर सकते है। कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, खेत की जुताई करने के बाद क्यारियां बनाई जाती है।क्यारियों की चौड़ाई डेढ़ मीटर और लंबाई 3 मीटर के आसपास रखी जाती है। स्ट्रॉबेरी के पौधे लगाने का सही समय 10 सितम्बर से 15 अक्टूबर तक है। पौधे लगाने के बाद ड्रिप इरिगेशन विधि से सिंचाई कर सकते हैं।
स्ट्राबेरी की सिंचाई
स्ट्राबेरी के पौधों की शरुआत में नियमित सिंचाई करनी चाहिये। वहीं सर्दियों में भी जरूरत के हिसाब से सिचाई करनी चाहिए। गर्मी में 3 से 4 दिनों के अन्तराल में सिचाई करें। पौधे को लगाने के पश्चात समय-समय पर पानी और खाद तथा निराई गुड़ाई करते रहना चाहिए।
फसल की कटाई
स्ट्राबेरी के फल का हरे रंग से गुलाबी रंग का होना और फल की सतह का समतल होना, फल पकने की निशानियां हैं। फल को गुच्छों में तोड़ा जाता है। पौध लगाने के डेढ़ महीने बाद स्ट्रॉबेरी से फल आने लगता है और यह सिलसिला चार महीने तक चलता है।
स्ट्राबेरी की खेती में लागत और मुनाफा
एक एकड़ स्ट्रॉबेरी की फसल में 2 से 4 लाख की लागत आती है। स्ट्रॉबेरी की खेती से कमाई, खर्च निकालकर 6 से 12 लाख का मुनाफा हो जाता है।
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