लहसुन में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं। इसके बावजूद लहसुन की फसल कई बीमारियों और कीटों से प्रभावित होती है। लहसुन की फसल में पत्तियों का पीला पड़ना भी एक आम समस्या है। यह समस्या देश के लगभग सभी क्षेत्रों में देखी जाती है। अगर आप लहसुन की खेती कर रहे हैं तो कृषि जागृति के इस पोस्ट से आप लहसुन की पत्तियों के पीले होने का कारण और इसे नियंत्रित करने के उपाय जान सकते हैं।
लहसुन की पत्तियों के पीले होने का कारण
नाइट्रोजन की कमी के कारण पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं, थ्रिप्स कीट पत्तियों से रस चूस लेते हैं जिसके कारण पत्तियां मुड़ने लगती हैं और उनका रंग भी पीला पड़ने लगता है, पत्तियों के पीले होने का एक मुख्य कारण फंगस है, जिसके कारण जड़ों पर कीड़ों के हमले के लिए उपयुक्त होता है। जिससे जड़ों का विकास रुक जाता है। परिणामस्वरूप, लहसुन के पौधों की पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं, अत्यधिक सिंचाई या जलजमाव के कारण भी पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं, मौसम में बदलाव के कारण भी यह समस्या होती है। और यह समस्या ज्यादा मात्रा में यूरिया का छिड़काव करने पर भी होता है।
लहसुन की पत्तियों को पिला होने से कैसे बचाए
नाइट्रोजन की आवश्यकता को पूरा करने के लिए प्रति एकड़ भूमि में 1 किलोग्राम एनपीके 19:19:19 का उपयोग करें। इसके अलावा आप उचित मात्रा में यूरिया का छिड़काव करके भी नाइट्रोजन की कमी को पूरा कर सकते हैं। यदि जड़ों में कीड़े लग रहे हों तो नियंत्रण के लिए क्लोरपायरीफास 50 प्रतिशत ईसी का प्रयोग करें। इसके अलावा, कीटनाशकों एवं फफूंदनाशकों के प्रयोग के समय खेत में पर्याप्त मात्रा में नमी का होना अति आवश्यक है, खेत में आवश्यकता से अधिक सिंचाई करने से बचें।
अगर आप चाहे तो अपनी लहसुन की फसल को रोग मुक्त रखने के लिए इससे बेहतर उर्वरक का इस्तेमाल कर सकते हैं जी की पूरी तरह जैव उर्वरक हैं। इसके लिए आपको 100 से 150 किलोग्राम 12 माह पुरानी सड़ी हुई गोबर की खाद या वर्मी कंपोस्ट व केंचुआ खाद में 10 किलोग्राम जी-सी पावर और जी- प्रोम एडवांस और 500 मिली जी बायो फॉस्फेट एडवांस को किसी छायादार स्थान पर मिलाकर प्रति एकड़ खेत में छिड़काव कर सिंचाई करें। सिंचाई करने के 10 दिन बाद 15 मिली जी-बायो फॉस्फेट एडवांस को 15 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।
यह भी पढ़े: लहसुन की ज्यादा एवं बेहतर पैदावार के लिए इन जैव उर्वरकों का करे इस्तेमाल!
जागरूक रहिए व नुकसान से बचिए और अन्य लोगों के जागरूकता के लिए साझा करें एवं कृषि जागृति, स्वास्थ्य सामग्री, सरकारी योजनाएं, कृषि तकनीक, व्यवसायिक एवं जैविक खेती संबंधित जानकारियां प्राप्त करने के लिए कृषि जागृति चलो गांव की ओर के WhatsApp Group से जुड़े रहे या कृषि संबंधित किसी भी समस्या के जैविक समाधान के लिए हमे WhatsApp करें। धन्यवाद