मध्य प्रदेश के कटंगी तहसील के ग्राम सीताखो के युवा किसान भूपेंद्र शरणागत ड्रैगन फ्रूट की खेती कर अन्य किसानों के लिए मिसाल बन गए हैं। भूपेंद्र किसान 43 साल के है और वह साल 2021 से ड्रेगन फ्रूट की खेती कर रहे हैं। भूपेंद्र किसान का परिवार लंबे समय से खेतों में धान, गेहूं और चना की खेती करते आ रहे थे। उन्होंने यह महसूस किया कि इन फसलों के लिए खेती की लागत भी ज्यादा है और उससे उन्हें अधिक लाभ भी नहीं हो रही हैं।
परिवार की सीमित आय को देखते हुए उन्होंने कुछ नया करने का विचार किया। उनके एक भाई नार्वे में रहते हैं। भाई की तरफ से उन्हें ड्रेगन फ्रूट की खेती करने की सलाह मिली। फिर उन्होंने गोंदिया जिले के रायपुर में स्थित किसान बालचंद्र ठाकुर के फार्म पर जाकर ड्रेगन फ्रूट की खेती की पूरी जानकारी प्राप्त करी।
भूपेंद्र किसान ने शुरुआत में 50 डिस्मिल खेत में ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए खेत में एक निश्चित दूरी पर छोटे-छोटे बांस के खंबे लगाए। इन खंभों पर अंगूर की खेती की तरह ही ड्रैगन फ्रूट की पौधे लगाएं जाते हैं। एक खंभे पर 4 पौधे लगाएं जाते हैं। ड्रैगन फ्रूट मूलतः अमेरिका का फल है और कैक्टस प्रजाति का पौधा है। एक बार इसका पौधा लगाने पर 25 सालों तक फल देता रहता हैं।
भूपेंद्र किसान का इरादा ड्रेगन फ्रूट की खेती को बढ़ा कर 2 एकड़ तक करने का है। इसमें एक हजार पौधे लगाएंगे। जिससे प्रति एकड़ खेत से 7 टन ड्रैगन फ्रूट का उत्पादन मिलेगा। वे खेत में जैविक खाद का ही उपयोग कर रहे हैं। भूपेंद्र किसान बताते है कि ड्रेगन फ्रूट की खेती पर 10 लाख रुपए की लागत लगा चुके हैं। इस साल उन्हें 50 डिस्मिल के खेत में 3 क्विंटल ड्रैगन फ्रूट की पैदावार मिली हैं। यह फसल 200 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से आसानी से घर बैठे बिक जाती हैं।
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