पश्चिम बंगाल में इस साल आलू की बंपर फसल होने की संभावना है, जिसका उत्पादन 130 लाख टन से ज्यादा रहने का अनुमान है। अनुकूल मौसम और खेती के बढ़े रकबे के चलते यह वृद्धि देखने को मिल रही है। पिछले साल बंगाल में लगभग 100 लाख टन आलू का उत्पादन हुआ था, जो इस बार 30 प्रतिशत ज्यादा रहने की उम्मीद है।
पश्चिम बंगाल कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशन के वरिष्ठ सदस्य पतित पावन डे ने बिजनेसलाइन को बताया कि इस साल आलू की खेती का रकबा बढ़कर 5.12 लाख हेक्टेयर हो गया है। साथ ही, राज्य के आलू उत्पादक क्षेत्रों में मौसम अनुकूल रहने से फसल बेहतर हुई है। पिछले साल बेमौसम बारिश के कारण आलू की पैदावार काफी प्रभावित हुई थी, लेकिन इस बार ऐसा कोई संकट नहीं आया।
पतित पावन डे ने बताया कि जनवरी के मध्य में आलू की कटाई शुरू हुई थी। सबसे पहले पुखराज किस्म की कटाई हुई, जबकि अब ज्योति किस्म की आवक बाजारों में शुरू हो गई है। सभी आलू किस्मों में सबसे महंगी चंद्रमुखी किस्म की आवक सीमित है।
गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल सरकार ने इस सप्ताह की शुरुआत में आलू का न्यूनतम समर्थन मूल्य 900 रुपए प्रति क्विंटल तय किया हैं। बंगाल से हर साल ओडिशा, बिहार, झारखंड और असम जैसे राज्यों को 20 से 25 लाख टन अतिरिक्त आलू भेजा जाता है, क्योंकि ये राज्य मुख्य रूप से बंगाल में उगाए गए आलू पर निर्भर हैं।
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