हरियाणा की अनाज मंडियों में इस सीजन गेहूं की आवक तो रफ्तार पकड़ चुकी है, लेकिन सरकारी खरीद की प्रक्रिया अभी तक शुरू नहीं हुई है। मजदूरों की कमी, परिवहन ठेकेदारों की नियुक्त में देरी और बोरियों की अनुपलब्धता जैसे व्यवस्थागत कारणों के चलते किसानों की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। खेतों से मंडियों तक पहुंचे किसान अब अपनी फसल को खुले आसमान के नीचे धूप में रखने को मजबूर हैं।
इस बीच फसल में नमी की अधिकता भी एक अहम समस्या बनकर उभरी है। प्रशासन के अनुसार, जब तक गेहूं में नमी निर्धारित सीमा 12 प्रतिशत से नीचे नहीं आती, तब तक खरीफ की अनुमति नहीं दी जा सकती। हरियाणा राज्य कृषि विपणन बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, इस सीजन में करनाल मंडी में अब तक 4,888 क्विंटल गेहूं की आवक दर्ज की गई है, लेकिन एक भी सरकारी एजेंसी द्वारा खरीदी नहीं हुई है।
जिला खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग के अधिकारी अनिल कुमार ने कहां कि करनाल, असंध और इंद्री जैसे तीन प्रमुख केंद्रों पर अच्छी आवक देखी जा रही है, जबकि जिले के अन्य 20 केंद्रों पर अभी भी सुस्ती बनी हुई है। उन्होंने आश्वासन दिया कि 8 अप्रैल तक श्रमिक व परिवहन ठेकेदारों की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी, जिसके बाद खरीदी और उठान का काम शुरू होगी।
इस बीच किसान संगठनों ने राज्य सरकार से मांग की है कि वे तेजी से खरीदी प्रक्रिया प्रारंभ करें, ताकि खुले में पड़ी फसल को नुकसान से बचाया जा सके और किसान राहत महसूस कर सकें। फिलहाल प्रदेश में गेहूं खरीद को लेकर चिंता बनी हुई है, लेकिन प्रशासन का भरोसा है कि अगले कुछ दिनों में व्यवस्थाएं पटरी पर लौटेंगी।
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